बरसात की काली रात

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शाम का वक़्त था| मैं घर के गार्डन में टहलने निकला |मंद-मंद हवा चल रही थी |पेड़ पैर बैठे पक्षियों की चिलचिलाहट मुझे बड़े ही बारीकी से सुनाई दे रही थी |मैं गार्डन में लगे आम के पेड़ के निचे बैठ गया| वहा बैठे- बैठे में बड़े ही ध्यान से एक तोते को देख रहा था| जो पेड़ की डाली पैर बैठा था |वह तोता आम को चोंच मारकर खा रहा था| यह दृश्य देखने में मग्न हो गया |तभी उतने में ही आसमान में काले-काले बादल छा जाते हैं |मुझे पताही नहीं चलता की कब शाम