वह जो अजनबी था

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वह बेकरारी से बिस्तर पर करवटें बदल रही थी। दिल को किसी पल सुकून न था। सांसे बोझल महसूस हो रही थीं और आंखो से नींद गायब थी। नींद भी कितनी प्यारी चीज़ है अगर महेरबान हो जाए तो इन्सान को दुनिया से बेखबर कर देती है। सब दुख दर्द मुंह छुपाकर कहीं गायब हो जाते है। और अगर यर महेरबान न हो तो इन्सान सर से पांव तक तकलीफ की आग में सुलग उठता है। हर गम हर तकलीफ़ रात की खामोशी में तकलीफ़ देने चली आती है। अरबा ने लब काटते हुए