मनोज

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कमरे में चारो तरफ मातम सा छाया हुआ था। सभी लोग लाचार से चुपचाप खड़े होकर बस जैसे उस मनहूस अनहोनी घड़ी का इंतज़ार कर रहे थे । बीच में पलँग पर एक कमजोर युवक अपने अंदर दर्द की लहरों को समेटे हुए ऊपर छत की तरफ शून्य में टकटकी लगाए खामोश लेटा हुआ था । केंसर की लास्ट स्टेज पर उस युवक की आँखों में एक अनंत खामोशी का सूना आकाश भरा पड़ा था । कमरे में सभी की आँखे भीगी हुईं थीं और दिल रो रहा था । सभी जैसे उस विश्वरूप से बस एक प्रश्न कर रहे