केले का बगीचा

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अनिल जायसवालरेलगाड़ी धड़ाधड़ पटरियों पर दौड़ती जा रही थी। साथ में रामधन का मन भी उड़ता जा रहा था। पंद्रह साल बाद वह अपने गांव बिहार के हाजीपुर जा रहा था। बनारस से गाड़ी खुले एक घंटा हो चुका था। उसकी बेटी रमा पहली बार दादी के यहां जा रही थी। दोनों ही खुशी देखते ही बनती थी। तभी ट्रेन आरा स्टेशन पर रुक गई। समान बेचने वाले आवाज लगाने लगे। उनमें एक आवाज गूंजी, "केले ले लो, केले, हाजीपुर के मस्त मालभोग केले।"हाजीपुर का नाम सुनते ही रमा ने अपने पिता की तरफ देखा। रामधन के चेहरे पर अजीब सी