एक बूँद इश्क - 23

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एक बूँद इश्क (23) चुल्लु में नदी का पानी भर कर उसके छीटें मार रहा है..परेश उसके चेहरे को थपथपाते हुये आवाज़ लगा रहा है- "उठो रीमा...देखो कौन आया है?? तुम किसको पुकार रहीं थीं??? उठो..आँखे खोलो....देखो बैजू आ गया रीमा.." और फिर, अचानक रीमा ने आँखें खोल दीं....इन आँखों में किसी की तलाश है....जिसे वह आँखें खोलते ही ढूँढने लगी है....परेश और गणेश बिल्कुल उसके नजदीक ही बैठे हैं उन्हे समझ नही आ रहा इस गुत्थी को कैसे सुलझायें? आखिर कब तक यूँ ही वह रीमा को बार-बार बेहोश होते देखते रहेगें??? अचानक ही सूखे पत्तों पर किसी के