दाने दाने की एक कहानी

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धनी राम था एक मस्त पंसारी.अगर माप-तौल में डंडी मारता था तो बच्चों को रूंगा (थोड़ा ज़्यादा) भी देता था.उसकी दुकान में घरेलू इस्तेमाल का सारा सामान बिकता था. नून, तेल, गुड़ से लेकर दाल-चावल-गेहूं और झाड़ू ,दातून तक.लाला अकेला सारी दुकान संभालता था. कंजूस था इसलिए नौकर-चाकर नहीं रखता था.सुबह आठ बजे दुकान खुलती थी और रात को आठ बजे बंद होती थी.दोपहर एक बजे लाला धनी राम के घर से चार डिब्बों वाले टिफिन कैरियर में खाना आता-पूरी, सब्जी, दाल, चावल, अचार और छाछ.लाला गद्‍दी पर चौकी लगाता. डिब्बा खोलता. बड़े चाव से खाना खाता. फिर तसल्ली से