दुर्गेश जी का काव्य संग्रह

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(गाथा बुढ़िया माई का)चली आ रही बारात एक ओर,जिसमें लोगो की भीड़ जोड़ एक ओर।नाच रहा जोकर जोड़-२ एक ओर,थोड़ी देर में मची शोर जोड़ एक ओर।।बन्द करो बाजा जोड़-थॉर एक ओर,रास्ता अभी है डोर-२ एक ओर।रास्ते मे आयों पुल थोड़ एक ओर,उस पर बैठी बुढ़िया देख एक ओर।।कोई कहा जोड़-२,अरे देख बुढ़िया एक ओर।मुह खुलयो थोड़-२,लोगो ने कहा जोड़-2।बारात चली एक ओर,बुढ़िया ने कहा होड़-२।लोगो ने कहा कोड़-२,व्यंग हुआ दांत खोड़।चलो बाराती एक ओर।।बारात चली एक ओर,लोग भी दौड़े जोड़-तोड़।जोकर रुका उसी कोर,नाचा जोकर जोड़-तोड़ उसी ओर।बुढ़िया हसी जोड़-२ उसी ओर,मुड़ा जोकर पीछे की ओर।बुढ़िया-