पेनकिलर

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पेनकिलर “हाय...कैसी है?” फोन उठाते ही दूसरी तरफ से विद्या का चहकता स्वर सुनाई दिया.“अरे विद्या तू? कैसी है? कितने दिनों बाद याद आई आज मेरी.” विद्या कि९ आवाज सुनते ही मीता ख़ुशी से चहककर बोली.“तो तूने ही मुझे इतने दिन कहाँ याद किया मेरी जान.” कहते हुए विद्या जोर से ठहाका लगाकर हँस दी “अच्छा ये गर्लफ्रेंड-बॉयफ्रेंड वाली शिकवे-शिकायतों की बातें छोड़ ये बता आज घर पर ही है न, कहीं जा तो नहीं रही है?” “नहीं कहीं नहीं जा रही घर पर ही हूँ.” मीता ने कहा.“ठीक है तो सुबह दस बजे का डॉक्टर के यहाँ का अपोइंटमेंट है तेरे घर