तेरे शहर के मेरे लोग - 17

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( सत्रह )हैदराबाद में एक भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया। मैं विमान यात्रा से वहां पहुंचा। किन्तु जब विश्वविद्यालय के गेस्ट हाउस जा रहा था तभी मेरे मेज़बान के पास आए एक फ़ोन के आधार पर उन्होंने मुझे बताया कि मेरे उपन्यास जल तू जलाल तू का तेलुगु अनुवाद वहां की जिन प्रोफ़ेसर महिला ने किया है उन्हीं का परिवार मुझे गेस्ट हाउस के स्थान पर उनके आवास में ही ठहराना चाहता है। ये दौरा बहुत सुखद तथा गरिमापूर्ण रहा। अगले दिन मैंने वहां की एक लोकप्रिय पत्रिका और मेरी पुस्तक के प्रकाशक का कार्यालय भी देखा। विमोचन के पश्चात मैंने