असलियत(लघुकथा)

(11)
  • 6.8k
  • 1.5k

"बाबू जी,मुझे कुछ खाने को दीजिए,बड़ी तेज भूख लगी है"एक नवयुवक भिखारी अपने सामने खड़े रईस व्यक्ति से गिड़गिड़ाते हुए बोला,लेकिन वह रईस व्यक्ति इतना सुनते ही क्रोधित होकर बोला,"चल भाग यहाँ से ना जाने कहाँ-कहाँ से आ जाते हैं भीख मांगने के लिए?"और इतना कहने के साथ वह अपने घर में चला गयाभिखारी बेचारा चुपचाप खड़ा रहा धूप काफी तेज थी उस कमबख्त के पास छाता भी नहीं थी शरीर पर फ़टे और गंदे कपड़े थे,जो रह-रहकर बदबू भी दे रही थी फिर भी,अपनी हालात से बेखबर होकर वह नवयुवक भिखारी भीख मांग रहा था, खैर वह