कटु स्मृतियाँ

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जन्म दिन मुबारक हो सुरेखा कहते हुए सुलभ ने सुरेखा को बाहों में भर लिया और बड़े प्यार से उसके गले मे एक खूबसूरत सा नैकलेस पहना दिया।"शुक्रिया जी "कहते हुए सुरेखा सुलभ की बाहों में सिमट गई। "अब जल्दी तैयार हो जाओ हम पहले मंदिर जाएँगे फिर लौटते में हम सब बाहर ही खाकर आयेंगे"।कहकर सुलभ वाशरूम चला गया ।सुरेखा ड्रेसिंग टेबल में खुद को निहारने लगी कितनी सुंदर लगने लगी है, इन चार सालों में सुलभ ने उसे दुनिया की हर खुशी दी ।सुलभ को पाकर वो पिछले अनेक बर्षों की कड़वाहट को भूल गई थी।आज वह अपने