देखो, तुम मरना मत

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सारे काम निबटाकर सरिता अपने कमरे में घुसी, तो निढाल हो चुकी थी। रिटायर्ड रमा शंकर पलंग पर बैठे उनका इंतजार कर रहे थे। उन्होंने घड़ी देखी, साढ़े दस बज चुके थे। "आज सब काम खत्म करते करते काफी देर हो गई तुम्हें।" रमाशंकर ने थकी हुई सरिता को मलहम लगाने की कोशिश की। "हां, आपको तो पता ही है, बहू से अब ज्यादा काम होता नहीं। अगर काम खत्म न करती, तो सुबह हालत खराब हो जाती।" "ओह, चलो दवा खा लो।" कहते हुए रमाशंकर ने गोली सरिता को पकड़ाई और पानी लेने चले गए। रमा ने खिड़की से