मेरे घर आना ज़िंदगी - 12

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मेरे घर आना ज़िंदगी आत्मकथा संतोष श्रीवास्तव (12) आलोक भट्टाचार्य नवोदित लेखिका सुमीता केशवा की किताब एक पहल ऐसी भी का लोकार्पण हेमंत फाउंडेशन के बैनर तले कराना चाहते थे । एक दिन वे सुमीता को लेकर घर आए । कार्यक्रम की योजना पर विचार विमर्श हुआ। तारीख वगैरह निश्चित कर सूर्यबाला दी, नंदकिशोर नौटियाल जी का चयन अध्यक्ष और मुख्य अतिथि के लिए किया गया । कार्ड छपा कर सब को भेजने की जिम्मेवारी सुमीता ने ली । सुमीता का घर में आना जाना शुरू हो गया और धीरे-धीरे हम अच्छे मित्र बन गए। लोकार्पण का आयोजन बहुत भव्य