डॉक्टरों की हड़ताल

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हड़ताल टीकू के सीने दर्द लगातार बढ़ता ही जा रहा था। दर्द से आँखे मींचे हुए वह दुहरा जा रहा था और बीच-बीच में उठकर मम्मी को देख लेता था, इधर-उधर। फिर निराश होकर पुनः लेट जाता था। दर्द को भुलाने के लिए जाने क्या-क्या सोच रहा है वह अपने मन को जाने कहां-कहां भरमा रहा है। वह दिल्ली से दूर के एक कस्बे से यह सुनकर यहाँ आया था, कि इस अस्पताल में ईलाज का पैसा नही लगता। यहाँ गरीब अमीर सबकी एक सी देखभाल होती है। लेकिन यहाँ आकर पता लगा कि इस जगह इलाज करा पाना