अरमान दुल्हन के - 10

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अरमान दुल्हन के भाग 10शादी की सभी रस्में निबटने के बाद कविता को पगफेरे की रस्म के लिए मायके वापस जाना था।रज्जो कविता के लिए खाना ले आई और साथ खुद भी खाने लगी।बुआ ने कविता को समझाते हुए कहा- "ए सरजू की बहू सुण!या तेरी सासु कोनी इसनै मां ए समझिये, अर इसकी खूब सेवा करिए।"कविता ने हां में गर्दन हिलाई।"ढंग तैं रहवैगी तो ठीक सै, ना मैं तो न्यारे भांडे धरदयूंगी (अलग करना) इसके!"पार्वती ने एक झटके में ही बोल दिया था।कविता को अपनी सास से ये तो बिल्कुल अपेक्षा नहीं थी।रोटी उसके हलक में फंस सी गई।