सूर: वात्सल्य के विविध आयाम

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सूर: वात्सल्य के विविध आयाम भक्ति की दार्शनिकता से पुष्ट और अलौकिक अनुग्रह की प्रार्थना के रूप में निर्वदित होते हुए भी सूर की कविता का परिवेश अधिक प्रत्यक्ष, लौकिक, मानवीय और तादात्म्य सुलभ है। उनके काव्य में संबंधित समाज अपने भूगोल और जीवन के कार्य व्यापारों के रूप में तो चित्रित है ही, उसकी संवेदना भी अत्यन्त मानवीय और रूपात्मक है। सूर की भक्ति कविता पर न सिद्धान्त निरूपण का बोझिल दबाब है, न इतिवृत्त अथवा विवरणों का रचना विरोधी विस्तार या बिखराव। उन्होंने अपनी उद्भावनाशील रचनात्मकता के द्वारा समाज के व्यापक अनुभवों को गहरी अन्तर्दृष्टि