मुखौटा - 9

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मुखौटा अध्याय 9 ‘तुम्हारी नानी तुम्हारे अंदर से बार-बार झांकती हैं।‘ यह अहंकार नहीं तो और क्या? लड़कियों का भी अपना आत्मसम्मान होता है, यह सोच ना होना अहंकार नहीं तो और क्या ? जन्म जन्मांतर से एक पर्दे के होने का ही अहंकार है। 'छेड़छाड़ करना यह मेरा खेल है। तुम किस हद तक इस पर्दे में रहती हो इसे देखना मेरा आनंद है।‘ ऐसा एक क्रूर आदमी होने का गर्व है कृष्णन में । मेरे अम्मा के एक मामी थी। उसका नाम मुझे याद नहीं। हमंम्गा थी। देखने में वह साधारण थी। परंतु, वह हमेशा सारे गहने पहने