किताबों की क़ैद से आजाद

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मुनिया से गर्मी की दोपहर का वक्त काटे नहीं कटता.नानी मुटल्ली भरपेट दाल-भात खाकर खर्राटे लेकर सोने लगती है.मम्मी और डैडी ऑफिस.अब मुनिया करे तो क्या? बालकनी पर कितनी देर? और टीवी देखने का तो सवाल ही नहीं.डैडी डियर ने उसे पहले ही सावधान किया है-नानी से बचकर रहना, वो तुम्हारी मम्मी की जासूस है. जो कुछ भी करोगी शाम को सारी रिपोर्ट मम्मी के पास पहुंच जाएगी.डैडी ने एक बात और भी बताई थी. वो ये कि उन्होंने ही एक बार नानी की चाय में इमली डाल दी थी, जिसके लिए डांट पड़ी थी मम्मी को.आज यही बात याद