बस पांच मिनट

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बालकहानी सुधा भार्गव बस पांच मिनट/सुधा भार्गव नादान अनारू समझ नहीं पा रहा है माँ को क्या हो गया है। उसके हर काम में देरी करती हैं।वह पहले की तरह तुरंत क्यों नहीं करती। उस दिन भरी दुपहरिया में बिजली चली गई । एक तो गरमी से परेशान दूसरे पेट में जोर जोर से चूहे कूद रहे थे ।मेज खाली देख उबाल खा गया “ --माँ --माँ ! कुछ खाने को तो देदो ।भूखे रहने से मुझे कमजोरी आ रही है। ” ‘लाई बेटा--बस पांच मिनट रुक जा--।इतने में तू साबुन से हाथ धोकर आ जा मेरे राजा मुन्ना ।”