अंधकूप

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प्रेम, प्यार, इश्क, मुहब्बत सब हृदय के एक अनुपम भाव के नाम हैं।बिना इसके जीवन तपते मरुस्थल की मानिंद होता है।प्रेम जीवन को अत्यंत सुंदर बना देता है, परन्तु कभी कभी घृणित वासना प्रेम का नकाब लगाकर किसी को अंधकूप में धकेल देता है,जिसमें से निकलना सम्भव ही नहीं हो पाता ,अन्ततः एक दिन सांसे दम तोड़ जाती हैं। रेखा पांच भाई बहनों में चौथे नंबर की सन्तान थी।घर में ही पिता ने आँटे की चक्की लगा रखी थी,जिसे पिता एवं मां मिलकर सम्भालते थे।दोनों बड़े भाई पास में ही किराए पर एक दुकान लेकर उसमें एक छोटी सी