अरमान दुल्हन के - 16

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अरमान दुल्हन के भाग 16सरजू अगले ही दिन कविता को मायके छोड़ आया और खुद गांव चला गया। पार्वती ने खूब हु हल्ला किया। "मां तैं चाहवै के सै (आप क्या चाहती हैं)? जी लेण दे हमनै! " सरजू फफक-फफक कर रो पड़ा था।"तेरै कुणबे आळे जीण ना देते मन्नै!न्यु कहवैं थे बेटा काढ़ (निकाल)दिया इसनै घर तैं। जिब ल्याई सूं (तब लेके आई हूँ)थम्मनै! अर उनै कित (उसको कहाँ)छोड़ आया?""उनै उणकै घरां छोड़ आया।" सरजू बे मुश्किल से बोल पाया था।"ठीक सै ओड़ै ए(वहीं) बिठाए राखिए उसनै!" पार्वती ने नाक- भौं सिकोड़कर कहा।"और के करदा (क्या करता) ? इस सुशी