अरमान दुल्हन के - 17

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अरमान दुल्हन के-17सरजू हैरान था अपनी मां की चालाकी से।"मां आप,...... आप इस तरियां न्ही कर सकती। कविता की जगहां बेबे हर होती फेर(कविता की जगह मेरी कोई बहन होती तो) बी तैं न्युए (आप ऐसा ही) करदी।" "ओये घणा ना बोलै, वा मेरी छोरियाँ की होड (बराबरी) करैगी!"सरजू बिन बोले ही उठकर चला आया और अपने फूफा जी को सारी बात बताई। फूफा जी ने जाकर पार्वती को बहुत सुनाया तब जाकर वह वापस आई।अब भी उसके दिमाग में प्लानिंग चल रही थी। कविता से मीठा मीठा बोलती और सरजू के साथ भी बढिया व्यवहार करने लगी थी।एक दिन