भाइयो को पत्र

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डियर भैया ओर भाइयो...डेढ महीना हो गया दम घूट रहा होगा ना, जहाँ रात दिन सडको पे घूमते थे, मज़े करते थे ओर कहा सब चुप चाप घर मे केद है ये सोचके के अगर बहार जाएगे, कुछ या किसी को छु लेंगे तो बिमार ना पड जाए कोरोना ना हो जाए, मास्क के अंदर भी घुटन होती होगी सास लेने मे भि तो तकलीफ होती होगी ना? अजीब हालत है लेकिन कुछ कर भी नही सकते!क्वोरन्टाइन जो है, कभी सोचा लडकियो का तो सारा जिवन क्वोरन्टाइन ही होता है!केसे?अंधेरा होने से पेहले घर आ जाना, किसी को छुना मत,