मेरे घर आना ज़िंदगी - 22

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मेरे घर आना ज़िंदगी आत्मकथा संतोष श्रीवास्तव (22) केरल जाने के लिए मुम्बई से फ्लाइट लेनी थी। मुंबई पहुंचते ही न जाने क्या हो जाता है मुझे । मुंबई की हवाओं में जाने क्या जादू है कि जो एक बार मुंबई में रह लिया वह दूर रहकर भी भूल नहीं पाता मुंबई को। मैं भी नॉस्टैल्जिया से गुजर रही थी। रात 3 बजे एयरपोर्ट पहुंचकर देर तक लंबे चौड़े एयरपोर्ट पर चहलकदमी करती रही। ऐसा लग रहा था कि किसी को कहूं कि पहुंच गई एयरपोर्ट । समय पर पहुंचा दिया टैक्सी ने । पर किसे ? मैने ही तो