दिव्यांग

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"अम्मा ,फूल वाली बटुली में थोड़ी सी आग रख दो,हमें अपनी शर्ट प्रेस करनी है" पदारथ तेवारी का बड़ा बेटा प्रत्यूष भले ही एक पैर से लंगड़ा था पर जिस तरह से वह पढ़ाई-लिखाई में जहीन था उसी अनुपात में साफ सुथरा रहना उसकी आदत में था..वह अक्सर मित्रों से कहता--'कपड़े भले सस्ते हों पर उनका साफ,प्रेस होना बहुत आवश्यक होता है..बाल भले लम्बे हों पर धुले और कंघी होने पर ही जंचते हैं.. यदि आपके नाखून कटे हैं और दाढ़ी बनी है तो यह नक्सेबाजी नही है..आप की गिनती सभ्य लोगों में की जायेगी'पड़ोस के खेलावन शुकुल के छोटे बेटे