सुनहरे भविष्य की कल्पना

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प्रो - देवाराम पटेलयह कहानी लेखक खुद सुना रहा है , लेखक कहता है कि गया था मैं शहर से गांव कुछ दिन बिताने । बहुत अच्छा भी लग रहा था और थोड़ा कुछ बदला हुआ भी । लोग सूरज के उगने से पहले ही जाग जाते थे और अपने अपने कामो में लग जाते थे । शहर में हमको योगा क्लास की जरूरत पड़ती है लेकिन यहाँ गांव में तो इनके कार्यो को देखकर लगता