મારા કાવ્ય - 2

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1. झूठबस जीना है अब इस झूठ के साथ,तू मौजूद है मेरी हर रूह के साथ ,झूठ अपनी जुबां को कहें ने देते ,हमें उस झूठ में ही अब रहने देते.वो तुम्हारा प्यार नहीं था एक झूठ था ,मुझे उस झूठ में ही जीने देते में खुश थी.झूठ जुबां को कहें ने देते में खुश थी ,तेरे हर झूठ से ही हमें इतना प्यार था.तुम झूठ भी कहेटे तो भी हमें सच लगता ,तेरे हर सच से हमें नफरत है अब दिलबर.वो तेरा प्यार नहीं था एक धोखा ही था ,हमें उस धोखे में ही रहने देते में खुश थी.बस