राजपुरा के जंगल ...रहस्य या कोई साजिश? - (भाग -3)

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लाइब्रेरी में ‌- किताबो की दुनिया में मान एक खोजी राहगीर की तरह भटक रहा है।जैसे एक खोजी राहगीर तब तक चलता जाता है जब तक कि उसकी इच्छा के अनुसार मंजिल नही मिल जाती है। उसी तरह मान भी राजपुरा के उस भयावह जंगल के बारे में जानकारी जुटाने के लिये भट्क ही तो रहा है।कभी इस रो की किताबों का नाम पढता है तो कभी किसी दूसरे रो की ओर बढ जाता है इस उम्मीद से कि शायद उसे वहाँ कुछ जानकारी मिल जाये।लेकिन उसे कुछ नसीब नही होता थक हार कर वो वही पड़ी एक बेंच