दोस्ती से परिवार तक - 9

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राहुल के कदम वहीं जम गए और पीछे मुड़कर वो अटकते हुए रिया से बोला-ओ.... हाँ.... वो.... है ना एक्सप्लेनेशन.... एक्सप्लेनेशन क्या प्रूफ भी है.... रिया बिना कुछ बोले बस उसे घूरे जाने रही थी और राहुल घबराहट के मारे पसीना-पसीना हुए जाने रहा था….और कुछ ही दूरी पर चुप-चाप खड़े होकर मनीष सब के मज़े लूट रहा था। राहुल-अच्छा तो सुनो तुम दोनों…. रिया-सुना...कब से उसी का इंतजार कर रहे हैँ….मनीष, रिया की हाँ मे हाँ मिलाते हुए-हाँ, हाँ सुना ना अब की स्वाति को कॉल करूँ मै…."मै उस से कल मिलने गया था बस और कुछ नहीं" राहुल एक सांस मे