जी हाँ, मैं लेखिका हूँ - 6

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कहानी 6- ’’ अमलतास के फूल ’’ मैं ठीक समय पर बैंक में पहुँच कर अपने कार्य में व्यस्त हो गयी। व्यस्तता तो थी किन्तु हृदय आज कुछ विचलित और अशान्त-सा भी हो रहा है। मैं ये तो नही कह सकती कि ’’न जाने क्यों? ’’ आज हृदय के विचलित होने का जो कारण है उसे मैं समझ भी रही हूँ। प्रतिदिन की भाँति आज भी प्रसन्न मन से मैं कार्यालय आयी थी। बैंक आकर जब कुछ सहकर्मियों ने मुझे मेरे जन्मदिन की बधाई दी तब मुझे स्मरण हुआ कि आज मेरा जन्मदिवस है। जीवन के आपाधापी में मैं आज