प्रेम की परिभाषा

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बगल वाले कमरे से आती आवाज कानों में पड़ते ही माधुरी की नींद टूट गई. आंखें मसलते हुए उसने अपने तकिये के नीचे रखे मोबाइल का बटन दबाकर समय देखा. अभी सुबह के साढ़े पांच बज रहे थे. ‘रविवार की सुबह भी शान्ति से नहीं सोने देते. इस उम्र में भी थोड़ी सी धीरज नहीं है.’बड़बड़ाते हुए उसने अपनी बगल में सो रहे बंटी के पैरों के पास पड़ी चद्दर को खींचकर उसे ठीक से ओढ़ाया और अपने बालों को सहलाती हुई बिस्तर से उठ खड़ी हुई.अपने कमरे से बाहर आकर उसने बगल वाले कमरे के दरवाजे के कोनों छनकर बाहर