कविताएँ

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१)मुहूर्त---------हरेक त्यौहार का होता है मुहूर्तलोग इस मुहूर्त में जिंदगी के महत्त्वपूर्ण काम को करने में लग जाते हैं । इंतजार करते हैं उसशुभ घड़ी का जोजीवन को खुशियों से भर देसारी विघ्न बाधाएं दूर कर देऔर वे गुजार पाएँ सुखी जिंदगी। पर क्या वाकई उस मुहूर्त काशुभ फल हरेक को मिलता है?उस मुहूर्त की घड़ी में अघटित कुछ नहीं होता है?इतिहास गवाह हरेक मुहूर्त काजहाँ छल कपट से छला गया आदमीऔर आज भी मुहूर्त के नाम पर ठगा जा रहा। आभा दवे २)परिचित------------ जाने क्या कह गई वो आँखेंकुछ कहती सी लगी थी हमेंदर्द-प्यार का एक संगम सा थामानो