रहस्यमयी टापू--भाग (१७)

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रहस्यमयी टापू--भाग(१७) इसका तात्पर्य है कि शंखनाद ने सबके जीवन को हानि पहुंचाई हैं,अब हम सबके प्रतिशोध लेने का समय आ गया है, शंखनाद और चित्रलेखा ने बहुत पाप कर लिए,अब उनके जीवन से मुक्ति लेने का समय आ गया है, अघोरनाथ जी क्रोधित होकर बोले।। हां, बाबा! इतना पाप करके,इतने लोगों की हत्या करके अब तक कैसे जीवित है वो,बकबक ने कहा।।, हां..बकबक,मैं भी यही सोच रहा था,सुवर्ण बोला।। परन्तु, क्या हो सकता हैं अब,किसी के मस्तिष्क मे कोई विचार या कोई उपाय हैं,हम केवल सात लोंग हैं और शंखनाद इतना शक्तिशाली, हम किस प्रकार उसे पराजित