जी हाँ, मैं लेखिका हूँ - 16 - अंतिम भाग

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कहानी -16- ’’ वो एक वामा हैं ’’ मोबाइल फोन की घंटी बजी। मैं उठ कर नम्बर देखती हूँ। यह नम्बर चन्दा चाची का है। आज लम्बे अरसे बाद उनका फोन आया है। मैं उत्सुकतावश तीव्र गति से फोन रिसीव करती हूँ। मेरे ’हैलो’ कहने के पश्चात् उधर से चन्दा चाची की आवाज आती है, ’’हलौ,....हलो......स्मृति बेटा ? ’’ हाँ, मैं स्मृति बोल रही हूँ। नमस्ते चाची।’’ प्रत्युत्तर में चाची कहती हैं ’’खुश रहो बेटा।’’ मे पुनः पूछती हूँ ’‘ कैसी हैं चाची ! सब ठीक तो है ? ’’ हाँ...हाँ....बेटा! यहाँ सब कुशल मंगल है।’’ चंदा चाची के इन