सीता की रामायण

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बधाई हों जमींदार साहब! बेटी हुई है... शहर से आई डाक्टरनी ने बेटी का जन्म कराकर प्रसूति गृह से बाहर निकलते ही कहा।। फिर से लड़की, जमींदार साहब ने उतरे हुए चेहरे के साथ जवाब दिया।। लेकिन जमींदार साहब ये तो आपकी पहली संतान है, फिर से कहां,डाक्टरनी बोली।। अरे मंझले भइया को हैं ना तीन तीन बेटियां,ये चौथी भी आ गई, जमींदार साहब बोले।। जमींदार साहब! वो तो सोच सोच की बात है, आजकल लड़कियाँ भी तो कम नहीं हैं, मुझे ही देख लीजिए, मैं भी तो एक लड़की ही थी,माँ बाप ने साथ