त्याग

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अरे, बड़ी ठाकुराइन आपकी परेशानी दूर करने का उपाय लेकर आए हैं,अब ज्यादा दुखी होबे की जरूरत ना है,मनकी काकी भागते हुए आई। ठाकुराइन चित्रलेखा के चेहरे की उदासी साफ-साफ देखी जा सकती थीं, वो हमेशा ऐसे ही उदासीन रहती थीं। उनके चेहरे की हंसी शायद वर्षो पहले गायब हो गई थीं, और उन्होंने इसे नियति मान कर स्वीकार कर लिया था,शायद उन्हें पता था कि इस सब की वो ही दोषी हैं। अब क्या है काकी, काहे हांफते चली आ रही हो, ऐसा क्या हो गया, चित्रलेखा बोली। कुछ सुना ठाकुराइन, पता है जो अपने गांव से नदिया पार