खिड़की खुली अरमानो की

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"माँ, आप कितने साल तक चाय के कप को अधूरा छोड़ देंगे?""तुम जानती होना बेटी, अब मैं उनके साथ ही पूरी चाय पी पाऊँगी।"वैभवी हँस पड़ी और मुझे अपनी बाँहों में लेते हुए कहा,"ओहो श्रीमती सुनीता विराज सक्सेना! तो मेरी दुल्हन अपने दूल्हे का बेसब्री से इंतजार कर रही है! आखिरकार अरमानो की खिड़कियां खुल गई ह ..!" मैं अपनी ही बेटी से शर्मा गई।अधिक कमाने और परिवार को एक अच्छा जीवन देने का जुनून, मेरे पति विराज को विदेश ले गया। लेकिन कानूनी दस्तावेजों के बिना और कानूनी प्रवासन नीतियों के उल्लंघन के लिए, उन्हें दस साल के लिए विदेश