कुर्सी मेज

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लड़कियों को पता नहीं ज़िंदगी से क्या चाहिए होता हैपूरी आयु असंतुष्ट रहती हैंऔर मजे में रहती हैंअसंतोष को दूर करने के लिए गहने बनवाती हैं और गहने तुड़वाती रहती हैं।पति से नफ़रत करती है,बात-बेबात जताती रहती हैं,"मुझे मन का पुरुष नहीं मिला।मेरे वाला आलसी,लापरवाह और निष्ठुर है।"लेकिन उसके बीमार होते ही चिंता में पड़कर रात-रात भर उसके सिरहाने बैठी रहती हैं।कोई कुछ कहे तो ठंडी उसांस भर कर कहती हैं,क्या करें।इस नीरस जीवन का एक यही अवलंब है।नारी तो लता की भांति होती है।सूरज की धूप और ताज़ी हवा पाने के लिए किसी न किसी पेड़ से लिपटना ही