एक दुनिया अजनबी - 44

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एक दुनिया अजनबी 44 - जाने कितनी देर पहले नीचे से गरमागरम नाश्ता आ चुका था लेकिन सब चर्चा में इतने मशगूल थे कि हाथ में पकड़े कॉफ़ी के मगों के अलावा किसीने नाश्ते की तरफ़ आँख उठाकर भी नहीं देखा था | कॉफ़ी भी शायद ही किसी ने पूरी पी हो|वातावरण कुछ अधिक ही तनावपूर्ण हो गया था | मंदा मौसी ने घंटी बजाई, चंद मिनटों में नीचे से लड़का हाज़िर हो गया | "सुरेश ! ये सब समेट लो और बाबू से कहना अम्मा और मेहमान नीचे ही डिनर करेंगे --" "जी--"कहकर सुरेश मेज़ पर से सामान उठाने लगा | मिनटों