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Matrubharti
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Ek Duniya Ajnabi by Pranava Bharti | Read Hindi Best Novels and Download PDF

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एक दुनिया अजनबी by Pranava Bharti in Hindi
Novels

एक दुनिया अजनबी - Novels

by Pranava Bharti Matrubharti Verified in Hindi Social Stories

(110)
  • 9.4k

  • 24.9k

  • 8

ऊपर आसमान के कुछ ऐसे छितरे टुकड़े और नीचे कहीं, सपाट, कहीं गड्ढे और कहीं टीलों वाली ज़मीन | गुमसुम होते गलियारे और उनमें खो जाने को आकुल-व्याकुल मन ! पता ही तो नहीं चलता किधर जाएँ ? कभी ...Read Moreहै क्या किसी का मन स्थिर ! न ही ज्ञानी-ध्यानी का न ही आम आदमी का --और संतों की बात --कितने हैं ? गिन लें ऊँगली पर ! ज्ञान और अज्ञान भी बड़ी गोल-मोल चीज़ हैं | कभी आसमान पुकारकर उसे ऊँची उड़ान की घोषणा करने के लिए निमंत्रित करता है तो कभी ज़मीन के गढ्ढे उसे अपने भीतर समेट लेते हैं | "क्या है ये जीवन ? कुछ समझ ही नहीं आता, नरो व कुंजरो वा ? | " शुजा ऐसे ही गोल-गोल घूमते हुए जीवन के बाँकडे पर जाकर खड़ी हो जाती |

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एक दुनिया अजनबी - 1

  • 1.8k

  • 2.7k

एक दुनिया अजनबी 1 ====ॐ ऊपर आसमानके कुछ ऐसे छितरे टुकड़े और नीचे कहीं, सपाट, कहीं गड्ढे और कहीं टीलों वाली ज़मीन | गुमसुम होते गलियारे और उनमें खो जाने को आकुल-व्याकुल मन ! पता ही तो नहीं चलता ...Read Moreजाएँ? कभी रहा है क्या किसी का मन स्थिर! न ही ज्ञानी-ध्यानी का न ही आम आदमी का --और संतों की बात --कितने हैं ? गिनलें ऊँगली पर ! ज्ञान और अज्ञान भी बड़ी गोल-मोल चीज़ हैं | कभी आसमान पुकारकर उसे ऊँची उड़ान की घोषणा करने के लिए निमंत्रितकरता है तो कभी ज़मीन के गढ्ढेउसे अपने भीतर समेट लेते

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एक दुनिया अजनबी - 2

  • 678

  • 1.2k

एक दुनिया अजनबी 2- छुट्टियाँ कैसे कटें? इस चक्करमें लाड़लीआर्वीके कहने पर पापा यानि शर्मा जीने तभी वी.सी.आर का नया मॉडल भी खरीद दिया | दिन में तो कूलर में पड़े रहकर सब बच्चे फ़िल्म देखते, कोई देखते-देखते ज़मीन ...Read Moreपसर कर ख़र्राटे भी लेने लगता, फिर जो उसकी आई बनती "अरे ---कहाँ सोया ---" पेट में गुदगुदाते हुए हाथों को रोकने कीव्यर्थ सी कोशिश में वह धरती पर लोटमलोट होता रहता पर गुदगुदाने वाले हाथ कहाँ रुकते !रात में तोसामने के ख़ाली पड़े बड़े से प्लॉट की रेत में उछल-कूद करनी लाज़िमी थी ही |सोसाइटी नई बन रही थी

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एक दुनिया अजनबी - 3

  • 402

  • 786

एक दुनिया अजनबी 3— जिस नई सोसाइटी में इन बच्चों के माता-पिताघर बनवारहे थे उसका चौकीदार या गार्ड कह लीजिएसुबह दूध की थैलियाँ देने घरों में आता, कुछ परिवारोंने उससे दूध बाँध रखा था, उस बंदे का नाम वसरामरबारी ...Read More|रबारी लोगों का अपना रहन-सहन, परंपराएँ, अपना बात करने का सलीका! सब कुछ अलग सा ही ! इस शैतान टोली ने एक बार वसरामभाई यानि उस सोते हुएचौकीदार की चारपाई उठाकर चुपके से सोसाइटी के बिलकुल पीछे की लाइन में ले जाकर रख दी, वह एक डंडा अपनी चारपाई के सिरहाने रखता था जिससे यदि कोई कुत्ता आदि आ जाए

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एक दुनिया अजनबी - 4

  • 342

  • 807

एक दुनिया अजनबी 4-- ये बच्चे बड़े ही शैतान ! रात में आधी रात तक जागने पर भी सुबह की सैर के लिए मुँह-अँधेरे उठकर थोड़ी दूर बने बगीचे में भाग-दौड़ करके आ जाते और जब कोई ऐसी शैतानी ...Read Moreतब तो ज़रूर ही उसका परिणाम देखने सारे एकत्रित हो जाते | कल की रात का परिणाम तो सुबह ही देखना होताथा न सो उस दिनचारों की टोली सैर से भी जल्दी भाग आई और उसी अधबनी दीवार पर चढ़कर साइकिलपर एक चप्पल पहने, बोझिल से पैडल मारकर वसरामकोआते देखकर सबऐसे चेहरा बनाकर बैठ गए मानो बड़े भोले, अनजानहों |

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एक दुनिया अजनबी - 5

  • 345

  • 783

एक दुनिया अजनबी 5-- वह उसके आगे खड़ा था, आँखों में आँसू भरे, अभी अभी उसके पैरछूए थे उसने| काफ़ी बुज़ुर्ग थींवो, नीम के चौंतरे पर एक मूढ़ानुमा कुर्सी डाले बैठी थीं|उन्हेंघेरकरछोटी-बड़ी उम्र केउन जैसे कई और भीनीम के ...Read Moreमें छाँह वाले चबूतरे पर बैठे थे| घने नीमके वृक्ष के नीचे काफ़ी बड़ा चबूतरा बनाया गया था जिस पर लगभग पंद्रह-सत्रह लोग समा सकते थे | तालियों की मज़बूत आवाज़ का बिना सुर-ताल का भजनदूर तलक पसरा हुआ था | "मेरे तो गिरधर गोपाल, दूसरा न कोई ---न कोई, न कोई" प्रखर ने दूर से कुर्सी पर बैठी आकृतिकोध्यान

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एक दुनिया अजनबी - 6

  • 249

  • 564

एक दुनिया अजनबी 6- " मृदुला माँ---? " एक बहुत खूबसूरत मॉर्डन सी दिखने वालीयुवा लड़की अचानक उसके सामने नमूदारथी जिसके एक हाथ में फ्रिज़ से निकाली गई चिल्ड बॉटल और दूसरे में काँचका एक बिलकुल साफ़-सुथरा ग्लास था ...Read More"वॉटर प्लीज़ ---" उसने बहुत सुथरी अंग्रेज़ी में पूछा |उसके आने से पहले ही वह पानी पी चुका था जिसे शायद वह देख नहीं पाई थी | "जस्ट हैड, थैंक्स---"उसकी आँखें बार-बार नम होने लगीं | "इधर आओ बच्चे ----!" बिल्लौरी आँखों वाली वृद्धाने उसे अपने पास बुलाकर उसके सिर पर हाथ फेर दिया | "नाम क्या है बेटा ?

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एक दुनिया अजनबी - 7

  • 285

  • 654

एक दुनिया अजनबी 7- उसकी बुद्धि उसे कुछ सोचने का अवसर ही नदेती | ब्लैंक हो गया था वह ! गलतियाँ करके बार-बार माफ़ी माँगने पर भी जब उसे मन की अँधेरीगलियों में सीलन की जगह एक भी किरण ...Read Moreमिलीतबउसने संदीप की बात मान लेना ही उचित समझा | वही तो लाया था उसे यहाँ | कैसी मदहोशी चढ़ती है न आदमी को ! न जाने किस नशे में वह अपना आपाखो बैठता है | यह सच है हर बात के पीछे कुछ कारण होते हैं पर भुगतना भी तो उसीको ही पड़ता है जो कर्म करता है, जीवन

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एक दुनिया अजनबी - 8

  • 270

  • 633

एक दुनिया अजनबी 8- घुटनका मन में भरा होना आदमी को बड़ा भारी पड़ता है | वह चीख़-चिल्ला ले, एक बार सब-कुछ कहकर छुट्टी कर ले, सहज हो जाता है किन्तु भीतर भरे रहना यानि हर पल ख़ुद से ...Read Moreजूझते हुए मरतेरहना तिल-तिलकर! अपनी त्रुटियों के लिए पछताने को अब कुछ रह नहीं गया था और जीवन था कि मुहफाड़े खड़ा था | एक बार तड़का हुआ सूरज और दूसरी बार घुप्प अँधेरा! कोई बीच का मार्ग नहीं | माना, जीवन ऊँचे-नीचेरास्तों परही चलता है, कोई सपाट रास्ता नहीं उसके लिए लेकिन सच तो ये है कि आदमी चाहे

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एक दुनिया अजनबी - 9

  • 243

  • 621

एक दुनिया अजनबी 9- माँविभाअपने बेटे का व्यवहार देखकर बहुत दुखी होती लेकिन जब भी वह उससे बात करने की कोशिश करती, कहाँ कोई सही उत्तर मिला उसे? पति-पत्नी के बीच आपसी व्यवहार का न तो सही तरीका था, ...Read Moreही सलीका ! हर रिश्ते में मित्रता व सम्मान का होना बहुत ज़रूरी है जिसे हम हवा में फूँक से उड़ा देते हैं फिर उसकी चिंदियों को असहाय बनघूरते रह जाते हैं | प्रखर के पिता भी अपने जीवित रहते इस बात से परेशानही रहे कि यह उनका ही पुत्र है जिसनेअपने संस्कारों की चिंदियाँबनाकर उड़ादी हैं|कितना भी प्रेम क्यों

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एक दुनिया अजनबी - 10

  • 210

  • 549

एक दुनिया अजनबी 10- पिता के न रहने से प्रखर कोजीवन की वास्तविकता आँखें खोलकर देखनीपड़ी |दो युवा होतेबच्चों का पिता अहंमें पहले ही ज़मीन से बहुत दूर जा चुकाथा, पत्नी ने जब देखा, अब सिर पर कोई बुज़ुर्ग ...Read Moreउसकी ज़िद तिल का ताड़ बन गई | कुछ दिन प्रखर को जीवन का बदलाव समझ नहीं आया, वह अपनी बुलंदियों के घोड़ों पर उड़ान भरता रहा| जब ज़मीन छूने की नौबत आई, तबकुछसमझ में आया लेकिन तब तक देर हो चुकी थी, प्रखर टूटने लगा | उसके व्यवहार से माँ कौनसाबहुत संतुष्ट थी ? सबके अपने-अपने खाने, सब अपने

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एक दुनिया अजनबी - 11

  • 228

  • 558

एक दुनिया अजनबी 11- एक झौंकाजीवन की दिशा पलट देता है, पता ही नहीं चलता इंसान किस बहाव में बहरहा है| आज जिस पीने-पिलाने को एक फ़ैशन समझा जाता है, वह कितने घर बर्बाद करता है, लोग समझ नहींपाते ...Read Moreफिर अपने अहंमेंसमझना नहीं चाहते |अमीर औरबड़े दिखने का यह एक अजीब सा ही कॉन्सेप्ट है, इससे कभी किसीका भला होते तोदेखा नहीं| बहाने होते हैं इसके, कभी बिज़नेस पार्टीज़, कभी अफ़सरों को खुश करना और कभी स्टेट्स! ज़िंदगी क्या इसके बिना ख़त्म हो जाती है ? यह खुद से पूछना होता है आदमी को | प्रखर ज़िंदगी के युद्ध

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एक दुनिया अजनबी - 12

  • 225

  • 540

एक दुनिया अजनबी 12 - मृदुलाको विभातबसे जानती है जब से प्रखर का जन्म हुआ था | उन दिनोंशर्मा-परिवार किराए पर रहता था |प्रखर के जन्म पर वह उससे एक हज़ार रूपये व सिल्क की ज़रीके बॉर्डरकीखूबसूरत साड़ी लेकर ...Read Moreथी | उन दिनों हज़ार रूपये बड़ी बात मानी जाती थी | पूरी सोसाइटी में लोग नाराज़ हो गए थे कि वह इन लोगों के लिए रेट का सत्यानास कर रही है | इनका पेट भरने का और क्यासाधन था ? लोगों की ख़ुशी में ख़ुश होना और उनके लिए दुआएँ करना औरसमाज काइन्हें दुर-दुर करना, दुखी हो उठती थी

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एक दुनिया अजनबी - 13

  • 168

  • 456

एक दुनिया अजनबी 13- विभा रसोईघर में जाने के बजाय बाहर निकल आई, पता नहीं उस दिन मृदुला को देखकर उसे कुछ जोश सा आ गया था ; "मैंने तो कभी बुलाया नहीं आपको ---फिर क्यों --? " अंदाज़ ...Read Moreथा विभा का |"अरे ! भक्तन ! तुम्हारे कल्याण के लिए ---देखो, हम तो तीन महीने में आते हैं ---जगत कल्याण के लिए हरिद्वार से आते हैं | देखो, तुम्हारे लिए भी गंगाजल लेकर आता हूँ हर बार ---ये रहीतुम्हारे हिस्से की बोतल ---" उसने झोली से निकालकर एक प्लास्टिक की बोतल विभा को पकड़ाने की कोशिश की | "नहीं

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एक दुनिया अजनबी - 14

  • 180

  • 519

एक दुनिया अजनबी 14- उसके गले तक आकर कुछ ठहर गया था, अटक गया था भीतर ही जैसे गले में किसी कठोर ग्रास को उसने ज़बरदस्ती भीतर धकेला था | विभा और भी असहज हो उठी, चाय के इंतज़ार ...Read Moreगैस रानी भी शायद रसोईघर में कुलबुला रही होंगी----| वह बड़बड़ाने लगा था | बहस उसमें और मृदुला में हो रही थी और परेशानीमहसूस कर रही थी विभा, अभी पति आ जाएंगे तो बस, उसकी आफ़त ---!उन्हें कचर-पचर बिलकुल पसंद नहीं थी | "हाँ, ये ही हैं सब हमारे परिवार, ये हैं हमारे बच्चे----" मृदुला ने तड़पकर कहा | और

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एक दुनिया अजनबी - 15

  • 165

  • 519

एक दुनिया अजनबी 15- जिस मृदुलाके लिए प्रखर मुँह बनाता था, आज उसी मृदुलाको खोजते हुए वह इस बस्ती में आया था | विभाको पता भी नहीं था कि उसका बेटा मृदुला की खोज में कहीं गया है | ...Read Moreस्वयं बेटी के पास रहने आ गई थी | वह अपने दोषों को ढूंढने का प्रयत्नकरती रही, सोचती बेहतर नज़र तो वही है जो दूसरों की नहीं, अपनी कमियों को देखकर सुधरने का प्रयास करे किन्तु उसे समझ ही नहीं आया, वह कहाँ ग़लत थी? प्रखर को किसीनेसुझाया था यदि उससे स्त्री का अपमान हुआ है तो उसे किन्नर के

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एक दुनिया अजनबी - 16

  • 183

  • 498

एक दुनिया अजनबी 16- अपने आपको संयमित करना बहुत ज़रूरी था, प्रखर के लिए बिखराव की स्थिति थी | स्वयं को स्ट्रॉंग करने के लिए कभी जिम जाता तो कभी क्लब तैरने लेकिन उसे शांति नहीं मिल रही थी, ...Read Moreनहीं हो पा रहा था वह !जब तक बाहर रहता, ठीक था, व्यस्त रहता | कुछनए प्रोजेक्ट्स, कुछपुराने काम को फिर से पटरी पर लाने का भरसक प्रयास !लेकिन घर में एक कमरे में पड़े, उसको नींद अपनी उन गलतियों की गलियोंमें खींचकर ले जाती | समय पछतावा देता है, उसका वापिस आना कठिन ही नहीं असंभव है | मौन

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एक दुनिया अजनबी - 17

  • 186

  • 504

एक दुनिया अजनबी 17 - उस दिन प्रखर को अपने भीतर कुछ बदलावसा महसूस हुआ| लगाशायद उसके मन के आँगन की बंद खिड़की कीकोई झिर्री खुल गई है |कोई नरम हवा सी मन को छू सी गई, कोई बात ...Read Moreवाला शायद मिले, शायद कोई उसकी बात समझने वाला मिले !आस का एक झरोखा सा मन में फड़फड़ाने लगा | उस दिन काम में भी कुछ मन लगने के आसार लगने लगे | अकेलेपन और एकांत में बहुत फ़र्क है | जहाँ एकांत स्वयं से वार्तालाप करने का अवसर देता है, वहीं अकेलापन मन को तोड़ डालता है| प्रखर को

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एक दुनिया अजनबी - 18

  • 156

  • 501

एक दुनिया अजनबी 18- आर्वी सब कुछ जानती थी, नॉर्मल बात होती तो अपने घर की इज़्ज़त को मुट्ठी में बंद रखकर पिता के परिवार की इज़्ज़त को बिखरने न देती| परिवार का गुज़र-बसर अच्छी तरह हो ही रहा ...Read More| कौनसी फिल्म नहीं देखी जाती थी? कौनसे स्टार होटल्समें खाना नहीं खायाजाता था? कौनसे सामजिक दायरों में शिरकत नहीं की जाती थी ? माँ विभा को लगता कोई कितना भी असंवेदनशील क्यों न हो, पति-पत्नी के रिश्ते की डोर टूटनीइतनी आसान नहीं होती जब तक कि कोई दूसरा ही उनके संबंधों में सेंध न लगाए | दरसल, गलती चोर

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एक दुनिया अजनबी - 19

  • 168

  • 609

एक दुनिया अजनबी 19 - अभी तकप्रखर उन दोनों नई मित्रों से पूरी तरह से परिचित नहीं हुआ था | उस दिन कॉफ़ी-हाउस में उन दोनों से थोड़ा-बहुतपरिचय हुआ |एक-दूसरे के बारे में जाना, एक हद तक | आश्चर्य ...Read Moreथा प्रखर यहजानकर कि सुनीला मैडिकल के अंतिम वर्ष में पढ़ रही है |प्रखर ने उसे जिस स्थान पर देखा था, उसके लिए मानना कठिन था, किन्तु सच था| ऐसे वातावरण में रहकर कोई शिक्षा के प्रति कैसे इतना समर्पित हो सकता है ? उसके मन में ढेरों प्रश्न कुलबुला उठे | आख़िर सुनीलाउन लोगों के बीच में क्यों थी?

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एक दुनिया अजनबी - 20

  • 165

  • 507

एक दुनिया अजनबी 20- रोज़ होती घटनाओं की पीड़ा दूसरों को होती है, खुद को नहीं | कुछ देर बाद दूसरों की पीड़ा हवा में उड़ जाती है और कुछ समय बाद भूल-भुलैया के रास्ते में !अपने दिल में ...Read Moreचुभने में बहुत फ़र्क होता है | दूसरों के साथ घटित को दूर से निहारकर अफ़सोस ज़ाहिर करना और अपने दिल में चुभे तीर का दर्द महसूस करना, दोनों में ज़मीन-आसमान का अंतर है | निवि के दिल से खून बहा था, उसका भविष्य एक फ़टे हुए कपड़े की तरह कँटीलेझाड़ परटँगा इधर से उधर लहराते हुएउसे चिढ़ा रहा था

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एक दुनिया अजनबी - 21

  • 189

  • 591

एक दुनिया अजनबी 21- कुछ संबंध अचानक ज़िंदगी में आ जाते हैं, कुछ ऐसे जो काफ़ी समय रहकर ऐसे छूट जाते हैं जैसे कभी कोई संबंध रहा ही न हो | पानी के साथ चलते, थिरकते संबंध, कभी उफ़ान ...Read Moreपरइधर-उधरछलकते, उभरते संबंध !कभी शन्ति से जिस ओर काबहाव हो, उधरबहने लगते, कभी बिना बात ही मचल जाते|स्थिर कहाँ रह पाता है आदमी का मस्तिष्क !एक समय मेंकितने अनगिनत विचारों कीगठरी ढोनेवाला मन कहाँ कभी एक समय में, एक विचार पर जमकर बैठता है ? कुछऐसे भी संबंध बन जाते हैंजिनसे न जान, न पहचान लेकिन वो अपने दिल की

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एक दुनिया अजनबी - 22

  • 180

  • 489

एक दुनिया अजनबी 22- विभा को अच्छा नहीं लगा, बंसी काका उसके दादा के ज़माने से उनके घर में थे, उन्होंने अपनी सारी ज़िंदगी उस परिवार के नाम कर दी थी | घर में उन्हें कोई नौकर नहीं समझता ...Read More| हाँ, वैसे वो पीछे गैराज से सटे कमरे में रहते थे पर उनके सुख-सुविधा का पूरा ध्यान घर के सदस्य की तरह ही रखा जाता था | दादा जी तक उन्हें बंसी बेटा कहकर पुकारते | स्टोर-रूम की कुँजी-ताली, देखरेख, हिसाब-किताब ---सब उनके हाथ में ही था | महाराजिनको उनसे ही सामान लेना होता था | उनके एक बेटा

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एक दुनिया अजनबी - 23

  • 177

  • 585

एक दुनिया अजनबी 23- "रवि मोहन शर्मा मेरे पापा का, मोहनी, मेरी माँ का नाम ---मैंने दोनों का नाम मिला अपना नाम रखने की कोशिश की है, अच्छा किया न ? "उसने अपने नाम का खुलासा करते हुए विभा ...Read Moreपूछा| "शर्मा ---? ब्राह्मण हो ---? " विभा ने जानबूझकर माला जपती हुईस्त्री की ओर टेढ़ी आँख से देखते हुए कहा | "हमारी जात, बामन-बनिया थोड़े ही देखती है दीदी ---वो तो मैंने यूँ ही आपको बता दिया वरना हमारी क्या जात, क्या बिरादरी ---? "उसने एक लंबी साँस भरी | शायद बामन सुनकर स्त्री की भौंहों के बल कुछ

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एक दुनिया अजनबी - 24

  • 150

  • 516

एक दुनिया अजनबी 24-- किसी किन्नर के साथ पहली बार इतनी क़रीबीमुलाक़ात ने विभा को कुछ अजीब सी स्थिति में डालदिया | उसे अपनेबचपन की स्मृति हो आई |जब वह छोटी थी और जब इन लोगोंका जत्था आसपास के ...Read Moreमें बधाइयाँ देने आता, विभा मुहल्ले के बच्चों के साथ आवाज़ सुनकरउस घर मेंपहुँच जाती| बड़े कौतुहल से सारे बच्चे इन्हें नाचते-गाते देखते, ये लोगकभी कुछ ऎसी हरकतें भीकरते कि वहाँ खड़ी प्रौढ़ स्त्रियाँ बच्चों को वहाँ से जाने को कहतीं, वो भी ज़ोर से चिल्लाकर | समझ में नहीं आता था क्यों? ये तो बाद में बड़े होने पर

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एक दुनिया अजनबी - 25

  • 117

  • 432

एक दुनिया अजनबी 25- विभा को शुरू से ही कत्थक नृत्य का शौक था, कुछ हुआ ऐसा कि बनारसके 'साँवलदास घराने' के एक शिष्य हरिओमजी किन्ही परिस्थितियोंके वशीभूत मेरठ में आ बसे | वो बनारस से आए थे क्योंकि ...Read Moreपुरखे जयपुर से बनारस जा बसे थे और अपने साथ बनारस के कलक्टर का एक सिफ़ारिशी पत्र भी लाए थे जो उन्हें 'ऑफ़िसर्सस्ट्रीट' में रहने वाले वहाँ केकलक्टर साहब को देना था |धीरे धीरे यह स्ट्रीट वहाँके शिक्षित व उच्च मध्यम वर्ग का स्टेट्स बन गई | साल भर पहले ही वहाँ एक क्लब खुला था जिसे खोला तो गया

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एक दुनिया अजनबी - 26

  • 123

  • 456

एक दुनिया अजनबी 26- कॉलोनी मेंक्लब भी खुल चुकाथा और उसमें क्या-क्या सिखाया जा सकता था, इसका विचार भी किया जा रहा था |भाग्य से वहाँ के निवासियों द्वारा संगीत व नृत्य की कक्षाओं की ज़रूरत महसूस की गई ...Read Moreमेंसंगीत व नृत्य के शिक्षकों को ठिकाना मिल गया | विभा काफ़ी दिनों से क्लब में नृत्य व गायन की शिक्षा प्राप्त करने जा रही थी | एक दिन उसने किन्नर वेदकुमारी को नृत्य के गुरु हरिओम जी को साक्षातदंडवत करते हुए देख लिया |दंडवत प्रणाम करके वह बिना इधर-उधर देखे हॉल से बाहर निकल गई|वह श्वेत चूड़ीदार, कुर्ते व

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एक दुनिया अजनबी - 27

  • 120

  • 408

एक दुनिया अजनबी 27- विभा को याद आया, कैसे इनके आने परकभी-कभी बच्चों को डाँटकर भगा दिया जाता था यानि लोग इन्हें पसंद नहीं करते फिर भी अपने घर में आने देते हैं, उस दिन गुप्ता दादी जी के ...Read Moreको बारी-बारी से गोदी मेंलेकर भी ये नाच रहे थे, फिर इन्होंनेबच्चे और उसकी मम्मी के सिर पर हाथ फिराकर आशीर्वाद भी दिया और कितने सारे पैसे और कई साड़ियाँ देकर वापिस भेजा गया था उन्हें, सब गुप्ता जी के घर का गुणगान करते वापिस लौटे थे | विभान बहुत छोटी थी, न ही बहुत बड़ी किन्तु उसे एक अजीब

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एक दुनिया अजनबी - 28

  • 96

  • 393

एक दुनिया अजनबी 28- मृदुला सुरीली थी, अक्सर उसे ही गातेदेखा है उसने |वह गारही थी ; ठाढ़े रहियो ओ बाँके यार रे ---- दो किन्नर उसपर नाचरहे थे | गज़ब का लचीलापन था उसकी आवाज़ में -- इसके ...Read Moreउसने गाना शुरू किया ; डमडमडिगा डिगा, मौसम भीगा भीगा बिन पीए मैं तो गिरा --- कितना पुराना गाना ! आज तक ज़िंदा है ? वह कोई क्लासिक चीज़ तो थी नहीं, फिर भी | कुछ चीज़ें ख़ास क्षेत्र में लंबे समय तकज़िंदा रहती हैं, उसने सोचा | उस दिन उसे जैसे एक तारतम्य में रेलगाड़ी वाली किन्नर जिसने उसकी

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एक दुनिया अजनबी - 29

  • 138

  • 438

एक दुनिया अजनबी 29- "चलो, पहले आँसू पोंछो ---"विभा ने साधिकार कहा | वॉशरूम में ले जाकर उसके मुह -हाथ धुलवाए, साफ़, धुला हुआ नैपकिन उसे दिया | हाथ-मुह धो-पोंछकरअब वह पहले से बेहतर स्थिति में थी | अब ...Read Moreसलीके से सोफ़े पर आकर बैठी थी, अपने -आपको सँभालते हुए | विभा उसके लिए शर्बत और कुछ नाश्ता ले आई थी | "लो, खा लो मृदुला, ख़ाली पेट लगती हो ? मालूम है, ज़्यादा देर ख़ाली पेट नहीं रहना चाहिए ? " मृदुला कुछ बोल नहीं सकी, उसकी ऑंखें बोलरही थीं, कुछ शेयर करना चाहती हो जैसे किन्तु कोईबहुत

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एक दुनिया अजनबी - 30

  • 135

  • 486

एक दुनिया अजनबी 30- उन्होंने उड़ादिया बच्चा मरा हुआ पैदा हुआ था | जबकि ऐसा तो था ही नहीं |लोगों के मन में पचास सवाल उठ रहे थे, यदि मरा हुआ बच्चा पैदा हुआ था तब भी उसकी अंतिम ...Read Moreतो करनी थी | पिता उस मृत बच्चे को घर तो लेकर आते, उसको विदा करनेके लिए परिवार के व कुछ सगे-संबंधी तो जाते | यहाँ तो जैसे नीरव सन्नाटा था, बस--माँ के आँसू रुकने के लिए ही कोई तरक़ीब नहीं थी | शेष सब चल ही रहा था | पता नहीं इतनी इंसानियत पिता में कैसे जागगई कि उन्होंने

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एक दुनिया अजनबी - 31

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  • 474

एक दुनिया अजनबी 31- थक हारकर ये सभी उसी डॉक्टर के पास मृदुला कोलेकर फिर से गए जहाँ उसको चैक करवाने ले गए थेऔर उस डॉक्टर के बारे में पूछताछ कीजहाँबच्चेका जन्म हुआ था | जिसस्त्री से किन्नरों को ...Read Moreमिली थी उसने किन्नरों कोउसडॉक्टर की जानकारी वपता भी दिया था जहाँ उसका जन्म हुआ था| ढूँढ़ते-ढाँढतेअब मृदुला को फिर से उसकी जन्मदात्री डॉक्टर के पास ले जायागया|ऐसे केस गिने-चुने होने के कारणडॉक्टर को इसका पूरा ध्यान था | डॉक्टर के पास बच्चे के पिता का नंबरभी था और पता भी | डॉक्टर को जब बच्चे के बारे में पता

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एक दुनिया अजनबी - 32

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एक दुनिया अजनबी 32- सब सहम गए थे, मृदुला बिलकुल भी अपने पिता के पक्ष में नहीं थी | उन्हें देखकर वह पगला गई थी जैसे | उसकी माँ बेचारी का रो-रोकर बुरा हाल था | उसकी इतनी प्यारी ...Read Moreउसके सामने थी जो उसे स्वीकार नहीं कर रही थी | "आपकीकोई गलती नहीं है माँ ---"मृदुला ने अपनी जन्मदात्री के आँसू पोंछे |"आप मज़बूर थीं, मैं समझती हूँ --आप जन्मदात्री हैं, भाग्यदात्रीनहीं |लेकिन आप ही सोचिए, क्या मुझे हर समय यह याद नहीं रहेगा कि मुझे कूड़ा समझकर अस्पताल में ही छोड़ दिया गया था और मेरे मरने की

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एक दुनिया अजनबी - 33

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एक दुनिया अजनबी 33- "ये भी एक अलग कहानी है दीदी ---"संकोच से वह चुप हो गई थी लेकिन उसे सब कुछ खुलकर बताना था, वह चाहती थी कि अपने मन की सारी बातें इनसे साँझा करे | कुछ ...Read Moreचुप रही, न जाने किन घाटियों में लौटगई थी ; "जो टीचर मुझे पढ़ानेआते थे, उनसे मेरा मोह हो गया | वो तो मुझसे शादी करना चाहते थे पर आप जानते ही हैं --जब मेरेपिता मुझे न्याय नहीं दे सके तो उनका परिवार मुझे कैसे स्वीकार कर लेता ? " "फिर ? " मृदुला की कहानी अजीब से मोड़ लेती

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एक दुनिया अजनबी - 34

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एक दुनिया अजनबी 34- इसी मृदुला को ढूँढ़तेहुए प्रखर उस स्थान पर पहुँचा था जहाँ उसके फ़रिश्तों ने भीकभी जाने की कल्पनान की होगी | कितना चिढ़ता था वह मृदुला से किन्तु जब ज़रूरत पड़ी तो ऐसे स्थान पर ...Read Moreपहुँचा ही न ! आदमी बड़ा स्वार्थी होता है, शायद बिना स्वार्थ के दुनिया चलती भी नहीं ! कल्पना कहाँ होती है? वास्तविकता की कठोर धरती कहाँ-कहाँखींचकर ले जाती है मनुष्य को!समय के बहावके अनुसार आदमी को बहना ही पड़ता है | कोई चारा ही जो नहीं | "कभी-कभी लगता है अगर ब्रह्मा जिनके हम केवल नाम से परिचित हैं,

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एक दुनिया अजनबी - 35

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एक दुनिया अजनबी 35- मनुष्य को अकेलापन खा जाता है, वह भुक्त-भोगी था | भविष्य का तो कुछ पता नहीं लेकिन अभी वह जिस घुटन से भरा हुआ था, उसकी कचोट उसे चींटियों सी खाए जा रही थी जो ...Read Moreसी जान होती है पर हाथी की सूँड में भी घुस जाए तो आफ़त कर देती है| उसकाक्रिस्टल क्लीयर जीवननहीं था | वैसे किसका होता है क्रिस्टल क्लीयर जीवन ? "तुम लोग नहीं जानते, मेरे घर मृदुला जी आया करती थीं, उन्हेंमम्मी-पापा से न जाने क्यों, कितनीऔर कैसी मुहब्बत थी ? मैं उस समय कितना चिढ़ता था उनसे ! मुझे

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एक दुनिया अजनबी - 36

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एक दुनिया अजनबी 36- आश्चर्यचकित था प्रखर ---ऐसा भी होता है ? तभी उसके मन से आवाज़ आई ;'अभी दुनिया देखी ही कहाँ है प्रखर बाबू ---' वह खो गया था नरो व कुंजरो व में? किसको सच माने ...Read Moreकितने-कितने रूप दुनिया के, एक यह भी ---उसने अपना चकराता हुआसिर पकड़ लिया | "शर्मा अंकल के बारे में माँ ने बताया था --"अचानक अपनी माँ की व अपने जन्म की कहानीबताते हुए वह प्रखर के पिताकी बात पर आ गई थी | "हाँ, मृदुला जी आईंभी थीं मम्मी के पास, जब पापा -----"रूँधगया प्रखर का गला | पापा का

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एक दुनिया अजनबी - 37

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एक दुनिया अजनबी 37- विभा का मन खोखला होता जा रहाथा | बेटी-दामाद के पास रहकर भी वह अपने पिछले दिनों में घूमती रहती | हम मनुष्य कितना भी प्रयत्न कर लें किन्तु अपना भूत नहीं भुला पाते |हम ...Read Moreअकड़ के साथ कह सकते हैं 'वर्तमान में जीओ'किन्तु क्या सच में ही हम जीते हैं वर्तमान में ? लौट-फेरकर वृत्तों में घूमते हुएहम फिर उसी शून्य पर आकरखड़े हो जाते हैं, जहाँ से चलेथे| जाने कहाँ-कहाँ भटका है प्रखर !कभी ये गुरु, कभी वो गुरु !कभी कोई मंत्र तो कभी किसी को दान !ऐसे जीवन की समस्याओं के समाधान

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एक दुनिया अजनबी - 38

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एक दुनिया अजनबी 38- कभी-कभी ऐसा भी होता है, छिपाने का कोई प्रयोजन नहीं होता पर बात यूँ ही छूट जाती है | कुछ ऐसा ही हुआ, कभी कोई बात ही नहीं हुई मंदा मौसी के बारे में | ...Read Moreमंदा मौसी का नाम सुनकर प्रखर का उनके बारे में पूछना स्वाभाविक ही था | अब तक निवि प्रखर की ज़िंदगी में पूरी तरह आ चुकी थी | उम्र का अधिक फ़र्क होने पर भी उसे प्रखर कासाथ अच्छा लगने लगा था |अपने टूटे हुए दिल का मरहम वह प्रखर में पागई थी और प्रखर अपने एकाकीपन को उसके साथ

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एक दुनिया अजनबी - 39

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एक दुनिया अजनबी 39- रास्ते में आते हुए सुनीला ने एकजगहगाड़ी रुकवाई थी जहाँ वह कम्मोनाम कीकिसी किन्नर से मिली, प्रखर कोभीमिलवाया | "प्रखर ! अब जो लोग कुछ अलग काम करना चाहते हैं उन्हें रोका नहीं जाता बल्कि ...Read Moreही दी जाती है ---जो पढ़ना चाहते हैं, उन्हें पढ़ाया भी जाता है ? " कम्मो ने पाँचेकसाल से ही अपना जेंट्स व लेडीज़कपड़ों का शो-रूमखोला था जो बरोडा की सीमा से लगा हुआ था | कम्मो इस प्रकार का नाचना-गाना करने का काम करना नहीं चाहती थी | इसलिए उसे सिलाई-कढ़ाई सिखाई गई और फिर उन दो और किन्नरों

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एक दुनिया अजनबी - 40

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एक दुनिया अजनबी 40- मौसम सुहाना था, उसका ध्यान उन खूबसूरत कलात्मकचिकोंपर अटक गया--प्रखर मन में स्थान का ज़ायज़ा ले रहा था | शाम का समय होने सेलगभग सारी मेज़ें भरी हुई थीं जिन पर सफ़ेद एप्रिन, कैपऔर दस्ताने ...Read Moreलड़के ग्राहकों के ऑर्डर्स लेकर बड़ीशांति से लेकिन तीव्रता सेहाथों में ट्रे पकड़े आते-जातेदिखाई दे रहे थे | कई मेज़ों के पास सफ़ेद कमीज़ में खड़े, हाथों में पैन व पैड लेकर ऑर्डर की प्रतीक्षा मेंलड़केखड़े थे| कमालकी कलात्मकता थी, फ्यूज़न ---जैसे भारतीय व पश्चिम की खूबसूरती को एकाकार करने का सफ़ल प्रयत्नकिया गया था | कुल मिलाकर एक अनुशासन

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एक दुनिया अजनबी - 41

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एक दुनिया अजनबी 41- "अरे ! अंदर आ जाओ न सुनीला, दरवाज़ा खुला ही है ---" कॉरीडोर के दरवाज़े को ठेलते ही एक लंबी गैलरी सी दिखाई देने लगी |प्रखर केमन में उस लंबी गैलरी को देखने की उत्सुकता ...Read Moreआईजो नीचे से दिखाई नहीं देती थी | वह अच्छी-ख़ासी लंबी -चौड़ी थी जिसके दोनों ओर महापुरुषों व योगियों की बड़ी-बड़ी तस्वीरें लगाई गईं थीं, वे दूर से दिखाई दे रही थीं| सच में, एक अलौकिक अनुभवहो रहा था उसे लेकिनमंदा मौसी सबसे आगे के कमरे की खिड़कीमें से उन्हें ही देख रही थीं, उन्होंने आगे बढ़कर दरवाज़ा खोल दिया

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एक दुनिया अजनबी - 42

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एक दुनिया अजनबी 42- दरवाज़े पर नॉक हुई तो सबकी आँखें उधर की ओर घूम गईं| दरवाज़े पर कोई अजनबी था लेकिन वह अजनबी उन तीनों के लिए था, मंदा मौसी के लिए नहीं | " कम इन जॉन ...Read More--" मंदा मौसी ने भीतर आने वाले व्यक्ति से कहा | मंदा मौसी का अँग्रेज़ी उच्चारण बता रहा था कि वह कोई नौसीखिया या अभी ताज़ी नकलची स्त्री नहीं थीं | उनका बोलने, उठने-बैठने का, विशकरने का सलीका बड़ा शानदार और ठहराहुआथा | उनका सुथरा व्यक्तित्व कुछ ऐसा था कि जो भी उनके पास आए वह प्रभावित हुए बिना न

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एक दुनिया अजनबी - 43

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एक दुनिया अजनबी 43- कुंठित थी सुनीला, विश्वास ही नहीं कर पा रही थी, उनकी योजना पर लेकिन वातावरण देखकर और बातें सुनकर झुठलाना भी इतना आसान नहीं था || "मुझे तो लगा था मेरी सुनीला बहुत खुश हो ...Read Moreयह देख-सुनकर ? " मंदा मौसी इतनी देर से बातें सुन रही थीं, अचानक बोलीं | "मौसी कैसे भुला दें कि ब्रिटिशर्स ने कैसी भ्र्ष्टताफैलाई थी यहाँ, हमने तो ख़ैर देखा नहीं वह समय ? अपने बड़ों से सुना और किताबों में पढ़ा लेकिन ----" "इन्होने राजा महाराजाओं को भ्र्ष्ट किया, योजनाबद्ध तरीके से भ्र्ष्टाचार को बढ़ावा दिया --आपको क्या

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एक दुनिया अजनबी - 44

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एक दुनिया अजनबी 44 - जाने कितनी देर पहले नीचे से गरमागरम नाश्ता आ चुका था लेकिन सब चर्चा में इतने मशगूल थेकि हाथ में पकड़े कॉफ़ी के मगोंके अलावा किसीने नाश्ते की तरफ़ आँख उठाकर भी नहीं देखा ...Read More| कॉफ़ी भी शायद ही किसी ने पूरी पी हो|वातावरण कुछ अधिक ही तनावपूर्ण हो गया था | मंदा मौसी ने घंटी बजाई, चंद मिनटों में नीचे से लड़का हाज़िर हो गया | "सुरेश ! ये सब समेट लो और बाबू से कहना अम्मा और मेहमान नीचे ही डिनर करेंगे --" "जी--"कहकर सुरेश मेज़ पर से सामान उठानेलगा | मिनटों

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एक दुनिया अजनबी - 45 - अंतिम भाग

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एक दुनिया अजनबी 45 - बड़ी अजीब सी बात थी लेकिन सच यही था कि प्रखर की माँ विभा मृदुला के साथ मंदा और जॉन से मिल चुकी थीं | जॉन ने जब यह बताया, मंदा के चेहरे पर ...Read Moreफैल गई | "आपने कभी नहीं बताया मंदा मौसी ? " सुनीला ने आश्चर्य में भरकर पूछा | "बेटा !समय ही कहाँ मिला, मैं तुम्हें फ़ोन करती रही, तुम बिज़ी रहीं |" "विभा जी ने हमें आश्वासन दिया, वो हमें यथाशक्ति सहयोग देंगी| " " माँ--! वो इसमें क्या सहयोग देंगी ? "वह माँ को कहाँ ठीक से समझता था

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