अनमोल तोहफा

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मित्रता इक ऐसा रिश्ता है जिसे हम अपनी इच्छा से चुनते हैं।सबसे प्रथम एवं अहम मित्र तो मेरी माँ हैं मेरे जीवन की, एवं अब मेरा बेटा भी जो रक्त सम्बन्धी हैं।मित्रों की संख्या कभी भी असीमित नहीं रही मेरी जिंदगी में।विवाह पूर्व शिक्षा काल की कुछ चुनिंदा सखियाँ थीं, जिनका मेरे जीवन में आज भी स्थान सुरक्षित है, वे अमूल्य हैं मेरे लिए। आज मैं बात कर रही हूं इन 25 वर्षों की एकमात्र सखी की, मेरी वर्तमान की मकान मालकिन, जिन्हें पास-पड़ोस के लोग गुड़िया नाम से पुकारते हैं और मैं भाभी जी कहकर संबोधित करती हूं,