शोलागढ़ @ 34 किलोमीटर - 20

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बुरा नाम इंस्पेक्टर सोहराब के सामने शैलेष जी अलंकार खड़ा पलकें झपका रहा था। यह ‘शोलागढ़ @ 34 किलोमीटर’ फिल्म का राइटर और डायरेक्टर था। उसे वहां पाकर इंस्पेक्टर सोहराब आश्चर्य में डूब गया। आखिर वह इतनी रात गए यहां क्या कर रहा है! सोहराब ने हड़बड़ाहट का मुजाहरा करते हुए मुंह में लगी बीड़ी फेंक दी और दोनों हाथ जोड़ दिए, “साहेब नमस्कार!” सोहराब ने आवाज को बदलते हुए कहा। “कौन हो तुम?” शैलेष ने अपनी पतली आवाज को भारी बनाते हुए पूछा। “साहेब हम जरूरतमंद हैं... हमें मोहन बाबू ने आपके पास भेजा है... रुकिए आपको उनकी चिट्ठी