प्रतिशोध--भाग(२)

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उधर गुरु कुल में__ चूड़ामणि...!तुमने अत्यन्त घृणित अपराध किया है, तुमने एक स्त्री को स्पर्श किया, आचार्य शिरोमणि बोले।। नहीं.. आचार्य,ये पाप नहीं है,वो स्त्री अत्यन्त वृद्ध थी,यदि मैं उसे नदी में डूबते हुए ना बचाता तो वो अपने प्राण गवां बैठती, मैंने तो केवल उसकी सहायता की थी, मैं उसे ना बचाता तो स्वयं से आंखें ना मिला पाता,ये अपराध नहीं है गुरुदेव ये तो मानवता है, चूड़ामणि बोला।। जो भी हो मुझे नहीं ज्ञात है, परन्तु इस गुरूकुल के शिष्यों को स्त्रियों का स्पर्श वर्जित है तो ये मेरी दृष्टि में अपराध ही हुआ एवं