परम्परावादी समाज में मैहर

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मेरे मित्र कहते हैं,-‘यार शब्बीर खान, तेरी किस्मत बहुत बुलन्द है, हमें तो मैहर घास ही नहीं डालती।’ सच तो यह है मेरी कौम की एक मात्र लड़की कॉलेज में पढ़ती है। उसका ध्यान रखना मेरा फर्ज है कि नहीं।मेरी कौम में लोग लड़कियों को पढ़ाने में रुचि ही नहीं लेतेे। हर पल मैं ही उसके साये की तरह उससे चिपका रहा।आज के वातावरण में कहीं कोई समस्या न हो जाये और उसका अध्ययन ही छूट जाये। बैसे वह दब्बूू किस्म की लड़की नहीं है।उस दिन ‘नारी मुक्ति’ विषय पर उसने अपने भाषण में सभी को आश्चर्य में डाल दिया