इश्क़ सूफियाना? अब लावारिश है।।

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१.गाऊं मैं जो एक गज़ल, पर गज़लों में तुम मत पड़ना...अश्क छलक जाए यूं, पर ग़ज़लों में विघ्न ना करना!मैं अभिलाषी सी पुस्तक था,अंत समय में तुम मत पढ़ना...अश्क छलक जाए यूं, पर गज़लों में विघ्न ना करना!कहीं सुना तुम लिखते मुझपर, उन ग़ज़लों में हमको मृत घोषित करना!अश्क छलक जाए यूं, पर ग़ज़लों में विघ्न ना करना!तुम मुझपर! मैं ज़ख्मों पे! संदेशों का मिलना जुलना...मैं तुमसे ग़जलों में मिलता, तुम हमको ज़ख्मों में मिलना...चलो लिखूं कुछ प्रेम कहानी पर उसमें अब तुम मत पड़ना...अश्क छलक जाए यूं, पर ग़ज़लों में विघ्न ना करना!विरह लपटों मेरे आंगन में, पर उसमें