मृत्यु भोग - 2

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अगले दिन सबेरे प्रतिदिन की तरह चाय पीने आये भवेश बाबू , घर के कोने में रखे मूर्ति को देखकर सोच में पड़ गए । बोले – " इसको कहाँ से लाया प्रताप " भवेश भट्टाचार्य , प्रताप के पिता अजय मुखर्जी के बचपन के दोस्त हैं , हर वक्त साथ रहने वाले , तब से वो भी इस घर के एक सदस्य हो गए हैं । भवेश बाबू ने जब यह प्रश्न किया तब प्रताप नहा कर तौलिया से अपना सर पोंछ रहा था । प्रसन्न होकर बोला – " काका मूर्ति अच्छी है न , मुकेश के दुकान से ले