प्यार वाली पठरी... - भाग 2

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डॉक्टर साहब तो पायल को फिर से देखने के लिए बेताब हुए जा रहे थे ।कब सुबह होगी कब बारह बजेंगे और पायल आएगी इन्हीं खयालों में खोए हुए थे।अगले दिन सुबह डॉक्टर ऋतुराज ने अपनी क्लिनिक में जा कर अपना काम शुरू कर दिया।पर उनकी नजर बार बार घड़ी की तरह ही जा रही थी ।अभी दस ही बजे थे और पायल को आने में अभी तो दो घंटे बाकी थे ।ऋतुराज अपना काम करने लगा तभी उसे क्लिनिक में घुंघरू की छम छम सुनाई दी ।ऋतुराज की नजर दरवाजे पर पड़ी तो वहां पायल आके खड़ी हो चुकी