चंदा मामा दूर के

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रघुवन में एक दोपहर ढल रही थी। रघुवन वासी अपने संध्या कर्म में लगे हुए थे। परछाइयां अब लम्बी होने लगी थीं। हमेशा की ही भांति सुखमय वातावरण था। पर सबसे ऊँचे बरगद के बृक्ष नीचे भीड़ जमा होने लगी थी। बहुत से जानवर उधर घेरा बना के खड़े थे। पक्षी भी शोर मचाते हुए मंडरा रहे थे। प्रतीत होता है कि कुछ गड़बड़ चल रही है। मिंकू बन्दर वृक्ष के सबसे ऊपर की डाल पर चढ़ा हुआ है और नीचे नहीं आ रहा है। मिंकू सबसे बोल रहा है " आज वो दिन आ गया है जब हम