बिना कहानियों वाला शहर

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उस शहर में एक बार कहानी-कविताओं की बाढ़ आ गई.दूर-पास से,उड़ते-बहते,दौड़ते अनगिनत कहानियां-कविताएं उस तरफ आने लगीं.और एक खाली पड़े तालाब को भरने लगीं.लोग आंखें फैलाकर उस नजारे को देखते रहे. वे तरह-तरह की आवाजें करती आ रही थीं.जोशीले गीत.मार्चिंग पास्ट का बैंड. गर्जनाएं.घोषणाएं.नारे.वे सब बच्चों की कहानियां-कविताएं थीं.उनका जीवन संवारने वाली,उन्हें महानता का पाठ पढ़ाने वाली.सूत्रों,समीकरणों,वचन पत्रों,घोषणाओं के रूप में.उस तालाब में तीन दिनों तक खूब शोर मचाती रही,वे कहानियां-कविताएं.फिर सब शांत हो गया. हवा बही,मिट्‍टी उड़ी और तालाब मिट्‍टी से ढक गया.कहानियां खत्म.कविताएं खत्म. शहर बिना कहानियों वाला हो गया.और ऐसा काफी समय तक चलता रहा.अब कहानियों-कविताओं की