शुभि (9)

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शुभि (9) आज शुभि का मन बहुत ख़राब था ,पढ़ाई में भी उसका बिलकुल मन नहीं लगा ।बार-बार उसकी ऑंखें ऑंसुओं से गीली हो रही थी।आज अपने किसी मित्र से भी बात करने का मन नहीं हो रहा था। मध्यावकाश में वह अपनी सहेलियों के साथ खो-खो खेल रही थी।खेलते-खेलते उसे बहुत ही तेज प्यास लगी ।वह पानी पीने के लिए नल पर जा रही थी जैसे ही वह नल के पास पहुँची तभी कुछ बच्चे नल को चारों ओर से घेरकर खड़े हो गये । शुभि ने कहा मुझे